Monday, August 22, 2011

हर मौसम का पहला दिन

हर मौसम का पहला दिन,
मैंने एक एक लिफ़ाफ़े में,
तुमसे छुपाके, सहेज संभाल
तुम्हारी अलमारी में रखा है।

तुम्हारी सालगिरह पर कल,
पिछले साल साथ गुज़ारे
हर मौसम का पहला दिन,
तुम्हे, तोह्फे में देना चाहता हूँ।

आहिस्ता शबनमी हाथों से खोलना
कहीं छूटती हँसी हँसते भाग न जाए
या कबके रोके आँसू बहते निकलते
कहीं पुरानी कड़वाहटें न बिखेर जाएँ।

दो चीज़ें मगर ज़रूर फूट निकलेंगीं, क्यों कि
            न गले लग जाने की और न ही प्यार की 
            कभी उम्र गुज़रती है।

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