Sunday, August 21, 2011

याद भी डाक से आया करती

सोचो गर याद भी डाक से आया करती,
और डाकिये चिट्ठी के साथ याद भी बाँटते.
हफ्ते भर चलो सबको यादें पहुँचती होती,
पर छुट्टी इतवार पे क्या कोई याद न आती?

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