Monday, September 19, 2011

गई रात का ख्वाब

गई रात का ख्वाब
सुबह आँख खुलते
मैंने चन्द लफ़्ज़ों में
कैद कर लिया है.
रात फिर आज
उसे पढ़ के सोऊंगा.
के वो हसीं ख्वाब
एक बार फिर देखूँ.

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