Friday, December 16, 2011

ज़िन्दा

आज मैं कहता हूँ, कभी अपने मन की कहा करता था.
चला करता हूँ, कभी मैं अपने कदम चला करता था.
काम करता हूँ, कभी अपने मर्ज़ी की किया करता था.
सबकी सुनता हूँ, कभी अपनी भी सुन लिया करता था.

थक गया हूँ, साँस कभी खुद के लिए लिया करता था.
आज मैं ज़िन्दा ज़रूर हूँ, पर कभी मैं जिया करता था.

No comments:

Post a Comment