Saturday, December 3, 2011

चंद लम्हे

मटकी भर वक़्त लिए अपना
आप आज दूर जाने वाले हो.
चंद लम्हे जो छलके-टपके हैं ,
मैं ज़रा उन्हें बटोर लेता हूँ.

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